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स्वास्थ्य के लिए समग्र दृष्टिकोण | होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड, उत्तर प्रदेश, भारत की आधिकारिक वेबसाइट

स्वास्थ्य के लिए समग्र दृष्टिकोण

  • The Holistic Approach to Health
  • होम्योपैथी क्या है?

    होम्योपैथी शब्द की उत्पत्ति दो ग्रीक शब्दों को मिलाकर हुई है ‘होमोइस’ अर्थात समान एवं ‘पैथोस’ अर्थात ‘पीड़ा,’ अर्थात बीमारियों का उपचार, जिनकी खुराख अधिकांश रूप से कम ही होती है। इन खुराक का निर्धारित खुराक से ज्यादा सेवन करने पर अथवा निरोग मनुष्य अथवा स्वस्थ लोगों द्वारा लेने पर रोग के समान लक्षण उत्पन्न करता है। यह उपचार के प्राकृतिक नियम पर आधारित है-“सिमिलिया सिमिलिबस क्यूरेंतर” जिसका अर्थ है “बीमारी का लक्षण के आधार पर उपचार करना।”

    उत्पत्ति

    लगभग 200 वर्ष पूर्व, जर्मन चिकित्सक, डॉ. सैम्युअल हैनिमैन (1755-1843) ने इस सिद्धांत की खोज करी कि ‘जो पदार्थ लक्षणों का उपचार कर सकता है, वह इसका कारण भी बन सकता है।’ हैनिमैन ने इस बात का उल्लेख किया है कि कुछ ऐसी दवाएं हैं जिनका सेवन उन्होंने स्वस्थ रहने के दौरान किया था, जिसके परिणाम स्वरूप उससे ऐसे लक्षण उत्पन्न हुए जो बीमार व्यक्ति में उस दवा द्वारा नष्ट किए जाते हैं। उदाहरण के तौर पर हैनिमैन ने सिनकोना बार्क का सेवन किया, जिसमे कुनैन मौजूद रहता है, वे बीमार पड़ गए और उन्हे मलेरिया हो गया। उन्हे प्रतीत हुआ कि सिनकोना, ने बुखार के विरुद्ध कार्य किया क्योंकि यह एक स्वस्थ मानव में बुखार से अप्रभावी लक्षण था।

    हैनिमैन इस प्रक्रिया पर शोध करते रहे, जिसमे उन्होंने यह अवलोकन किया कि चाहे उन्होंने औषधि, मिनरल, पशु उत्पाद अथवा रासायनिक पदार्थ का सेवन किया हो उससे उनमे विशिष्ट प्रकार के लक्षण देखने को मिलते हैं। उन्होंने आगे यह भी प्रतीत किया कि कोई भी दो अथवा अधिक पदार्थ का सेवन एक प्रकार के लक्षणों को नही पैदा करता है। इसके अतिरिक्त लक्षण सिर्फ भौतिक तल तक सीमित नहीं थे, बल्कि प्रत्येक सेवन किया गया पदार्थ शरीर के अतिरिक्त मस्तिष्क एवं भावनाओं को भी प्रभावित करता है। अंततः हैनिमैन ने बीमार व्यक्ति का इसी आधार पर उपचार प्रारंभ किया कि ‘लक्षणों के अनुसार उनका उपचार किया जाए।’ इसके पश्चात उन्हे इसी क्रम में सफलता भी प्राप्त हुई।

    अवधारणाएं एवं सिद्धांत

    समानता का कानून

    यह ‘उपचार का कानून’ के रूप में भी जाना जाता है। यह कानून यह दर्शाता है कि कुछ चयनित उपाय स्वस्थ मनुष्य में निर्धारित लक्षण को जन्म देते हैं, जो किसी मरीज में पाए जाने वाले लक्षणों के समान होते हैं। इसे समझने के लिए सबसे सरल उदाहरण यह है कि, एक प्याज छीलने का प्रभाव बहुत तेज सर्दी के लक्षणों के समान होता है। लाल प्याज (रेड अनियन) एलियम सेपा से तैयार किया गया उपाय एक प्रकार की सर्दी के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है जो प्याज छीलने से पैदा होने वाले लक्षणों को दर्शाता है। यह सिद्धांत विश्व में लाखों होम्योपैथ द्वारा सत्यापित किया जा चुका है।

    एकल उपाय

    होम्योपैथिक दवाओं को हमेशा एकल, सरल असम्बद्ध रूप में प्रशासित किया जाता है।

    न्यूनतम खुराक

    समान उपाय जो एक बीमार व्यक्ति के लिए अपनायी जाती है उसकी न्यूनतम खुराक निर्धारित करी जाती है, जिससे शरीर पर किसी प्रकार का टॉक्सिक दुष्प्रभाव न पड़े। यह सिर्फ शरीर के मौजूदा रक्षा तंत्र को बेहतर और मजबूत करने के लिए एक ट्रिगर और उत्प्रेरक एजेंट के रूप में कार्य करता है। इसके संदर्भ में, दवाओं को विशेष रूप से तैयार किया जाता है जिसे ड्रग डाइनामाइजेशन अथवा पोटेंटिसेशन की तरह भी जाना जाता है। ड्रग डाइनमाइजेशन में ठोस पदार्थ हेतु विचूर्णन एवं तरल पदार्थ हेतु सक्सेशन सम्मिलित है। इस प्रकार से तैयार किए जा रहे ड्रग में अधिकतम औषधीय क्षमता सम्मिलित होती है, जिससे शरीर में किसी प्रकार का नुकसान न हो।

    समग्रतात्मक एवं व्यक्तिवादी दृष्टिकोण

    यह होम्योपैथी का एक प्रमुख एवं अद्वितीय बिंदु है। हालांकि यह सुनने में अजीब लग रहा हो पर होम्योपैथी बीमारियों को नही बल्कि उनके लक्षणों को समाप्त कर देता है। होम्योपैथ, आर्थ्राइटिस अथवा कैंसर के इलाज पर केंद्रित नही है। अन्य शब्दों में होम्योपैथी जोड़ों के दर्द के उपचार, श्वासनली में सूजन एवं घातक बीमारियों के उपचार से दूर है। होम्योपैथी प्रत्येक मरीज का अलग प्रकार से उपचार करता है, उदाहरण के लिए- यदि छः व्यक्ति हैं जो हेपेटाइटिस से ग्रसित हैं, उन्हे संभवतः विभिन्न होम्योपैथी उपचार प्रदान किया जाता है, प्रत्येक का उसके लक्षण के अनुसार उपचार किया जाता है न कि लिवर के आधार पर। चिकित्सक की दिलचस्पी न केवल रोगियों के लक्षणों को कम करने में होती है, बल्कि उनका दीर्घकालिक कल्याण भी होता है।

    महत्वपूर्ण क्षमता

    डॉ. हैनीमैन ने खोज करी की मानव शरीर ऐसी क्षमता से सम्पन्न है जो बीमारी पैदा करने वाले लक्षणों का प्रतिरोध करती है। यह बीमारी के दौरान विक्षिप्त हो जाता है एवं सबसे उच्चतम होम्योपैथिक उपाय का चयन करने पर इस कम होती प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे हैनीमैन का कथन ‘यह आपकी गिरती क्षमता को मजबूत बनाता है एवं स्वास्थ्य की राह पर आपकी प्रणाली को पुनः सृजित करता है’ को सत्य साबित करता है।

    मियाज्म

    सोरा, सिफलिस एवं सायकोसिस सभी क्रोनिक बीमारियों का तीन मौलिक कारण है जो मानव जीवन में कष्ट लाता है, जैसा कि डॉ. हैनीमैन द्वारा खोज करी गई थी एवं उसे मियाज्म कहा। इस शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के एक शब्द ‘मयानिन’ से हुई है जिसका अर्थ है ‘दूषित करना।’ सोरा, जीवन के आरंभ से अंत तक मौजूद रहता है एवं अधिकांश बीमारियों का कारण भी होता है।

    ड्रग प्रोविंग

    चिकित्सकीय इस्तेमाल हेतु ड्रग का प्रयोग, से पहले उनकी उपचारात्मक शक्तियों का पता होना आवश्यक है। ड्रग की प्रोविंग ऐसी प्रक्रिया है जो उक्त शक्तियों का पता लगाने के लिए करी जाती है एवं होम्योपैथी के क्षेत्र में यह अद्वितीय है, क्योंकि यह स्वस्थ मनुष्य पर आजमाया गया है। इस प्रकार ज्ञात लक्षण किसी दवा अथवा दवा का पैथोजेनिसिस के उपचारात्मक गुणों का सही रिकॉर्ड ज्ञात करता है।

    कार्यालय का पता

    होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड,
    2 नबी उल्लाह रोड, सिटी स्टेशन के पास,
    लखनऊ

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    अंतिम नवीनीकृत : 24 जनवरी 2019 | 06:18 PM
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