1810 के दशक के प्रारम्भ में पश्चिम से आने वाले यात्रियों, मिशनरियों व सैनिकों द्वारा होम्योपैथी का भारत में पदार्पण हुआ | इस पद्धति को आधिकारिक रूप से भारत में लाने का श्रेय डाक्टर जान मार्टिन होनिग्बर्गर को जाता है जिन्हें तत्कालीन महाराजा रणजीत सिंह का इलाज करने के लिए सन 1839 में उनके दरबार में बुलाया गया था | महाराजा रणजीत सिंह का इलाज करने के बाद डाक्टर होनिग्बर्गर कलकत्ता में ही बस गए तथा इस देश में होम्योपैथी के विकास का रोड मैप तैयार किया। यह बंगाल राज्य था, जिसने कुछ प्रशिक्षण संस्थानों और उपचार केंद्रों के माध्यम से अपनी प्रारंभिक अवधि में होम्योपैथी का पोषण किया। कलकत्ता में होम्योपैथिक अस्पताल असाध्य रोगों के उपचार के लिए प्रसिद्ध थे।,
हैज़ा जैसी महामारी को नियंत्रित करने और कई दिग्गजों के स्थायी प्रयास सफल होने से देश के अन्य हिस्सों में इसकी स्वीकार्यता में मदद मिली। भारत में इसके विकास के दौरान, इस पद्धति को आशातीत सरकारी सहयोग मिला है | भारत में होम्योपैथी का मजबूत एवं वृहद बुनियादी ढांचा है| यह भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त चिकित्सा प्रणालियों में से एक है।
भारत में होम्योपैथी विकास के सोपान
- 1948 : भारत सरकार ने होम्योपैथिक एंक्वायरी कमेटी (एच॰ई॰सी॰) का गठन किया |
- 1949 : होम्योपैथिक एंक्वायरी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें केंद्रीय होम्योपैथिक समिति गठन करने का सुझाव दिया गया |
- 1954: केंद्र में होम्यपैथिक एड्वाइज़री कमेटी की स्थापना हुई, जिसने सरकार को देश में होम्यपैथी से जुड़े सभी मामले यथा इसकी शिक्षा, अनुसंधान, इसके अभ्यास संबंधी विनियमन, औषधि निर्माण, अस्पतालों व औषधि वितरण केन्द्रों इत्यादि पर विस्तृत परामर्श दिया |
- 1955 : 10 अप्रैल को होम्योपैथी के पितामह डा. हैनीमैन की द्विशाताब्दी समारोह को स्मरणीय बनाने में भारतीय डाक विभाग ने भी विशेष पोस्टल कैंसिलेशन द्वारा अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की |
- 1962 : भारत सरकार ने मानद होम्योपैथी सलाहकार नामित किया |
- 1962 : भारतीय होम्योपैथिक फ़ार्माकोपिया समिति की स्थापना हुई |
- 1964 : ग्रामीण होम्योपैथिक चिकित्सा समिति की स्थापना हुई |
- 1969: भारत सरकार ने (सी.सी.आर.आई.एम.एंड.एच.) सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन इंडियन मेडिसिन एंड होम्योपैथी (भारतीय औषधि एवं होम्योपैथी अनुसंधान केन्द्रीय समिति) की स्थापना की |
- 1973 : होम्योपैथिक सेंट्रल काउंसिल एक्ट संसद में पारित हुआ |
- 1974: देश में होम्योपैथिक चिकित्सा एवं अभ्यास को नियंत्रित करने हेतु सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी की स्थापना हुई |
- 1977: भारत में हैनीमैन डाक टिकट जारी हुआ |
- 1978: सी.सी.आर.आई.एम.एंड.एच. चार अनुसंधान समितियों, जिसमें सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी सम्मिलित थी, का गठन करने हेतु भंग कर दिया गया |
- 1995: भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन डिपार्टमेन्ट ऑफ इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन एंड होम्योपैथी (आई.एस.एम.एंड एच.) की स्थापना हुई |
- 2002: नेशनल पालिसी ऑन इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन एंड होम्योपैथी की स्थापना हुई |
- 2003 : आई.एस.एम.एंड एच. का नया नामकरण हुआ व उसे आयुष (आयुवेद, सिद्ध, यूनानी, योगा, नेचुरोपैथी एंड होम्योपैथी) के नाम से जाना गया |